बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज क्या होता है? | What do you mean by Bills of Exchange? | Bills of Exchange

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दोस्तों जब भी कोई सामान बेचा या ख़रीदा जाता है तो या तो वो कैश में बेचा और ख़रीदा जाता है या उधार । अगर कैश देके सामान बेचा और ख़रीदा गया तब तो वो ट्रांसक्शन वही ख़तम हो जाती है लेकिन अगर सामान उधार में ख़रीदा बेचा जाता है तो सामान खरीदने वाला बेचने वाले को एक फ्यूचर डेट को पेमेंट करने का तय करता है।अब यह कांसेप्ट आता है प्रामिसरी नोट और बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज का । प्रामिसरी नोट क्या होता है ये हम अपनी पहली वीडियो में बात कर चुके है ।  आज की वीडियो में हम जानेगे की बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज क्या होता है? कैसे ये प्रामिसरी नोट से अलग होते है ? और इनके क्या फीचर्स है ?

तो आइये शुरू करते है :

दोस्तों बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज एक फाइनेंसियल इंस्रूमेंट होता है और सामान्यता ये अन्तर्राष्टीय व्यापार में इस्तेमाल होता । लेकिन ये सिर्फ अन्तर्राष्टीय व्यापर में ही इस्तेमाल होता है ऐसा भी नहीं है । ये घरेलु व्यापार में भी इस्तेमाल किया जाता है ।

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आइये दोस्तों अब बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की वर्किंग समझते है । एक buyer है उसने कुछ सामान ख़रीदा एक सेलर से । लेकिन उसके पास सेलर को देने के लिए कैश नहीं है । इस buyer का कैश साइकिल दो महीने का है । तो इसने सेलर को बोला की मैं इस सामान के पैसे आपको दो महीनो में दूंगा। सेलर इस पर त्यार हो जाता है और कहता है की ठीक है लेकिन तुम्हे एक बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज शाइन करना पड़ेगा। buyer त्यार हो जाता है और सेलर बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज इशू करता है और buyer उसे एक्सेप्ट करता है । दोस्तों, प्रामिसरी नोट में buyer ने प्रामिसरी नोट इशू किया था लेकिन बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में सेलर buyer को बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज ड्राफ्ट देगा और buyer को उसे एक्सेप्ट करना होगा।

इस बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज पर लिखा होगा की किस डेट तक पेमेंट देनी होगी। दोनों पार्टीज के एड्रेस लिखे होंगे । दोनों के साइन होंगे ।और सारे नियम और शर्ते लिखी जाएँगी। इस बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के हिसाब से ही buyer seller को पेमेंट देगा और ये ट्रांसक्शन कम्पलीट हो जाएगी ।

दोस्तों यह पर सेलर ने पैसा उधार दिया है तो ये हो गया क्रेडिटर और इसी ने बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज ड्राफ्ट किया है तो इसे मेकर या ड्रावर भी कहते है । और buyer हो गया debtor और इसे हम drawee भी कह सकते है क्योकि इसी के नाम पैर बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज इशू किया गया है ।

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तो दोस्तों ये तो हो गयी बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की वर्किंग । आइये अब बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की डेफिनेशन जानते है

According to the Negotiable Instruments Act 1881, a bill of exchange is defined as an instrument in writing containing an unconditional order, signed by the maker, directing a certain person to pay a certain sum of money only to, or to the order of a certain person or to the bearer of the instrument.

दोस्तों बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज Negotiable Instrument Act, 1881 के सेक्शन 5 के तहत डिफाइन किया गया है, जो कहता है की:

  1. बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज लिखित में ही होना चाहिए । ये मौखिक नहीं हो सकता ।
  2. ये एक आर्डर है पेमेंट करने का। ये कोई प्रॉमिस नहीं है जैसा हमें प्रामिसरी नोट में देखा था । यह पर इसे सेलर इशू करता है और ये एक अनकंडीशनल आर्डर होता है ।
  3. पेमेंट करने का आर्डर अनकंडीशनल होना चाहिए ।
  4. बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के मेकर को इसे साइन करना ज़रूरी है ।
  5. जो पेमेंट अमाउंट होगा वो निश्चित होना चाहिए ।
  6. जिस तारीख को पेमेंट करनी है वो भी साफ़ साफ़ स्पष्ट तौर पर बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में लिखी होनी चाहिए ।
  7. बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज एक निश्चित पर्सन को पेयबल होना चाहिए । या फिर बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के बेयरर को पेयबल होना चाहिए ।
  8. बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज का अमाउंट या तो एक फिक्स्ड डेट पर पेयबल होगा या फिर ओन डिमांड ।
  9. बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज भी एक प्रकार का क्रेडिट है

दोस्तों साधारण शब्दों में बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज क्रेडिटर के द्वारा ड्रा किया जाता है और देबटोर को ये स्वीकार करना होता है। देबटोर के स्वीकार करने के बाद ही ये बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज बनता है। जब तक देबटोर इसे स्वीकार नहीं करता तब तक ये केवल एक ड्राफ्ट होता है ।

तो दोस्तों ये तो हमने जाना बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की डेफिनेशन के बारे में। आइये अब जानते है की बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में कौन कौन सी पार्टीज शामिल होती है :

दोस्तों बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में कुल तीन पार्टीज होती है

  1. Drawer/ Maker/Creditor or Payee:

दोस्तों ड्रावर यह पर क्रेडिटर होता है जिसे पैसा मिलना होता है। । और ये ही बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज को ड्रा करता है

2. Drawee/ Acceptor/ Debtor/ Payer:

बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज जिसे इशू किया जाता है । यानि जो इसे स्वीकार करता है । और इसी को पेमेंट करनी होती है इसीलिए इसे पेयर भी कहते है ।

3. Endorsee/ Third Party:

बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज एक नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट है । तो जो थर्ड पार्टी इसमें शामिल होती है जिसे क्रेडिटर की बजाय पेमेंट की जाती है उसे एंडॉर्सी कहते है ।

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तो दोस्तों ये है वो पार्टीज जो इसमें इन्वॉल्व होती है । आइये अब जानते है की कितने प्रकार के होते है बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज ?

पहला होता है ओन डिमांड बिल ऑफ़ एक्सचेंज

ओन डिमांड बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज का मतलब है की इस तरह के बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में जब भी क्रेडिटर या फिर एंडॉर्सी अपने पैसे डिमांड करेगा तो देबटोर को पैसे देने होंगे ।

दूसरी टाइप होती है टर्म बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज

टर्म बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में एक specified डेट मेंशन होती है और उसी डेट पर पेमेंट करनी होती है ।

तो दोस्तों पार्टीज हो गयी। और बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के टाइप्स भी हो गए । आइये अब जानते है बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के मत्वपूर्ण रिक्वायरमेंट्स के बारे में:

  • In Writing

बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की ये राइटिंग में होना चाहिए ।

  • Unconditional Order to Pay:

बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में पे करने के लिए अनकंडीशनल आर्डर होना चाहिए ।  यानि की किसी भी तरह की कोई कंडीशन नहीं होनी चाहिए बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में पेमेंट के लिए।

  • Drawer Certain Person (Seller):

ड्रावर जो है वो एक निश्चित पर्सन होना छाइये।। उसकी सारी डिटेल्स बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में लिखी होनी चाहिए ।

  • Sum Payable Certain:

सम पेयबल निश्चित होना चाहिए । और साफ़ साफ़ बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में लिखा होना चाहिए ।

  • Drawee Certain Person:
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द्रवी भी एक निश्चित पर्सन होना चाहिए। यानि की जो द्रवी है उसकी भी सारी डिटेल्स साफ़ साफ़ लिखी होनी चाहिए बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में।

  • Date of Issue and Place of Issue:

डेट ऑफ़ इशू एंड प्लेस ऑफ़ इशू भी बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज पर लिखा होना चाहिए ।

  • Maturity Date-Term Bill:

अगर बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज टर्म बिल है तो परिपक्वता डेट भी लिखी होनी चाहिए ।

  • Stamped-As Required By Law:

बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज को stamped करना ज़रूरी है । तो जितने की भी स्टाम्प ड्यूटी बनती है उतनी पे करनी चाहिए ।

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  • Signed by the Drawer: बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज पर ड्रावर के साइन होने ज़रूरी है ।
  • Acceptance by Drawee:

कोई भी बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज तभी बिल ऑफ़ एक्सचेंज बनता है जब उसे Debtor एक्सेप्ट कर लेता है। debtor के एक्सेप्ट करने तक वो केवल एक ड्राफ्ट होता है ।

  • Interest:

सामान्यता बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज में कोई इंटरेस्ट चार्ज नहीं होता । ये एक तरह से पोस्ट डेटेड चेक की तरह ट्रीट होते है । लेकिन फिर भी अगर किसी पर्टिकुलर डेट के बाद इंटरेस्ट चार्ज किया जाता है तो ये साफ़ साफ़ लिखा होना चाहिए। Endorsement of Bills of Exchange: दोस्तों बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज को कितनी भी बार एंडॉर्सी किया जा सकता है, लेकिन Maturity डेट से पहले पहले.

तो दोस्तों ये सारी होती है बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज की महत्वपूर्ण रिक्वायरमेंट्स । आइये अब बात करते है बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज के डिफ़ॉल्ट में आप लीगल सूट फाइल कर सकते है या नहीं। According to limitation act:

अगर आपका बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज एक फिक्स्ड टाइम का है तो आप बिल देय होने के 3 साल के अंदर अंदर केस फाइल कर सकते है ।

और अगर बिल ओन डिमांड है तो जिस डेट से बिल की डिमांड रेज की गयी है उस डेट से ३ साल के अंदर अंदर आप केस फाइल कर सकते है ।

आइये दोस्तों अब एक बिल फ़ो एक्सचेंज का सैंपल देख लेते है

Bills of Exchange Draft

तो दोस्तों इस तरह से आप अपना बिल्स ऑफ़ एक्सचेंज ड्राफ्ट कर सकते है । उम्मीद करते है आपको आज का आर्टिकल पसंद आया होगा । तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर कीजिये। धन्यवाद !

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