मनोभाव -आज की पत्रकारिता
समय समय का फेर है सारा,आंदोलन आ जाते थे पत्रकार नवयुवको में नयी जान भर जाते थे आज की पत्रकारिता का वृतांत आपको बतलाते है। सबपर ये प्रकाश डाले थोड़ा इन पर भी आते है पत्रकारिता विफल हो रही अपनी अलख जगाने में, लोगों को समझने में और अपनी बात बताने में , क्रय विक्रय …
मनोभाव -जीवन का लक्ष्य
हर क्षेत्र में विजयी रही हूँ , संग तेरे खड़ी, पर मैं ही जली हूँ, यू ख़ुद को जलाना क्या मेरा उद्देश्य यही था ? दाँव पर लगाकर ख़ुद की ख़ुशी को -2 ये तेरा घर सँवारा यू ही ख़ुद को मिटाना क्या मेरा उद्देश्य यही था? माँग मेरे नाम की तुम भी -2 …
मनोभाव- अंतर्मन से संवाद
रंग सजायें बैठी थी चुनरी मेरी लाल, पर बैरी इस काल ने लील लिए भर्तार हरी लाल मेरी चूड़ियाँ, छनछन करे थी शोर सुखी पड़ी कलाईयाँ, अब कहे का शोर । रंग चटकीले मुझे भावे थे सतरंगी सपने आवे थे। अब सफ़ेद चादर, मुझे उढ़ाई जाएगी, फिर दागो की बारी आएगी । शगुन और अपशगुन …
मनोभाव- महकती ज़िंदगी
विराम है या पूर्णविराम सी ज़िंदगी। कभी चलती कभी ठहरी सी ज़िंदगी, कभी इत्तर सी महकी हुई कभी दुर्गन्ध लिए ये ज़िन्दगी। विराम है या पूर्णविराम सी ज़िंदगी।। कभी हँसी के ठहाको से भरी हुई, कभी उदासी का घूँघट ओढे हुई । विराम है या पूर्णविराम सी ज़िंदगी ।। कभी प्रेम की गगरी से भरी …
मनोभाव- मौन की परिभाषा
मौन की अपनी परिभाषा है बस आँखों से ये साँझा है। शब्दों का कोई खेल नहीं, बस हाव भाव ही भाषा है। आनंद की अनुभूति है, छायी रहती मदहोशी है। दुर्ज़न साध ना पाते है, सज्जन ही गले लगते है। मौन में अतुल्य बल है शब्दों सा नहीं छल है । ये आत्ममंथन का …
मनोभाव -अस्तित्व
तू जननी तू ज्वाला है तेरा हर रूप निराला है , नारी तू विशाल है , फिर तू कहाँ है खो रही। आज के समय मैं भी , तू धरा सी हो रही । अस्तित्व मैं तू आ ज़रा, अपने को तू जगा ज़रा, मखौल जो ये हो रहा, उन शब्दों मिटा ज़रा । …