SIP या एकमुश्त निवेश- म्यूचुअल फंड में शुरुआत के लिए क्या है बेहतर ? | SIP vs Lumpsom Investment

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दोस्तों हमारे भारत में हमारी नई जनरेशन अपने सपने को पूरा करने के लिए शुरुआती दिनों में इन्वेस्टमेंट को लेकर काफी एक्ससिटेड रहते है।  इंटरनेट के विस्तार और मार्केट के बारे में जागरूकता की वजह से कैपिटल मार्केट नए इन्वेस्टरस की संख्या तेजी से बढ़ रही है।  ज्यादातर भारतीय म्यूचुअल फंड को शुरुआती निवेश का जरिया बना रहे हैं।  इसमें आप सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) और एकमुश्त दोनों तरह से निवेश कर सकते हैं।  अगर इन्वेस्टर अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस के बारे में sure नहीं है, तो बाजार में मौजूद ऑप्शंस के चलते डिसिशन लेना बहुत डिफिकल्ट हो जाता है।

नए और शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए हमेशा से एक सवाल रहता है कि निवेश की शुरुआत किस टूल से करना चाहिए। ज्यादातर इन्वेस्टर्स में कन्फूशन रहता है कि एकमुश्त निवेश करना बेहतर है या एसआईपी के विकल्प को चुनना? आज हम इसी बारे में बात करेंगे और जानेगे की क्या है बेहतर सिप या लम्पसम इन्वेस्टमेंट ?

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तो चलिए शुरू करते है :

दोस्तों, अगर म्यूचुअल फंड निवेशक के रूप में आप बाजार में इंटर कर रहे हैं, तो या तो एकमुश्त राशि निवेश कर सकते हैं या आप सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए बाजार में पैसा लगा सकते हैं।  एसआईपी आपको एक ही बार में पैसे लगाने की बजाए हर महीने बाजार में एक निश्चित राशि निवेश करने का मौका देता है।  बहुत से निवेशकों के पास मंथली कैश फ्लो होता है, जैसे सैलरी से होने वाली इनकम।  इस वजह से उनके लिए एसआईपी एक सुविधाजनक टूल है।

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आपके लिए किस तरह Mutual Fund में निवेश करना बेहतर रहेगा ?



म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के मुख्य दो तरीके है : 

1. Lump Sum और

2. SIP (Systematic Investment Plan)

1 .Lump Sum :

लम्प सम इन्वेस्टमेंट करने का ऐसा तरीका है जिस में आप सारा निवेश लायक पूरा पैसा एक साथ ही निवेश कर देते है। यह ज्यादा जोखिम भरा और ज्यादा रिटर्न देने वाला है। क्योकि अगर आपने जिस समय निवेश किया उस समय बाजार निचे है और वहा से बढ़ता है तो आप बहुत पैसे बनाएँगे। लेकिन यदि आपने निवेश किया उस वक्त बाजार ऊपर है और वहा से निचे गिरता है तो आपको नुकसान भी बहुत हो सकता है। इस चीज़ से बचने में SIP का तरीका मदद करता है।

 

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2 . SIP (Systematic Investment Plan) :

SIP या फिर Systematic Investment Plan एक तरीका है, जिस में आप अपनी निवेश की राशि और निवेश का अंतराल तय करते है। और फिर उस ही फिक्स्ड इनटर्वल में निवेश करते रहते है। जैसे की आपने तय किया की आप हर महीने 10000 रुपए निवेश करेंगे। SIP के जरिए निवेश करने पर आप बाजार की हर स्थिति में तेज़ी और मंदी में भी निवेश करते है। जिस की वजह से आपने ख़रीदे हुए म्यूच्यूअल फंड्स के दाम का एवरेज प्राइस हो जाता है। जिस से आपको लम्बे समय में अच्छा लाभ मिलता है। और अगर आपके पास लम्पसम इन्वेस्ट करने के लिए एक साथ पैसा नहीं है तो भी सिप के ज़रिये आप अपना इन्वेस्टमेंट टारगेट अचीव करने के लिए एक फण्ड जेनेरेट कर सकते है।

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अब आप सोच रहे होंगे की कोनसा है बेहतर तरीका इन्वेस्ट करने का। दोस्तों हकीकत यह है कि दोनों ही टार्गेट्स को पूरा करते हैं। इसलिए आपका टारगेट क्या है उसी को ध्यान में रखकर ही निवेश के विकल्प का फैसला करना चाहिए। आइये अब जानते है की किसके लिए एकमुश्त निवेश बेहतर?

ऐसे इन्वेस्टर जो मंथली, तिमाही, छमाही या सालाना कंट्रीब्यूशन को लेकर निश्चित नहीं होते हैं, वे अमूमन एकमुश्त निवेश का रास्ता चुनते हैं। इस तरह के निवेश के लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है, जिससे कि बाजार से रिटर्न भी अच्छा मिल सके।

एकमुश्त विकल्प आमतौर पर ऐसे निवेशक चुनते हैं जो जोखिम से बचना चाहते हैं।  क्योंकि उनका मानना है कि बाजार से उन्हें अधिक से अधिक रिटर्न मिलेगा।  सिस्टम की डायनेमिक्स को समझने के लिए थोड़ी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि शेयर बाजार जब गिरावट का दौर होता है तो लोग अपने एकमुश्त पैसे को म्यूचुअल फंड में डालना पसंद करते है।  यह उन निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प माना जाता हैजिनकी इनकम तो ज्यादा होती है लेकिन फिक्स्ड नहीं होती, अनियमित होती हैं। जैसे कभी करोड़ो की आमदनी है तो कभी लाखो में या कभी उससे भी कम।   बिजनेस और कंसल्टेंसी मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स को अकसर फीस और कॉन्ट्रैक्ट के मामले में एकबार में ही पेमेंट  मिल जाता है। तो ऐसे लोग लम्पसम में इन्वेस्ट करना पसंद करते है  जबकि, एसआईपी में ऐसा नहीं है। तो इस तरह के अनियमित इनकम साइकिल वालों के लिए लम्प सम इन्वेस्टमेंट ज्यादा बेहतर  हैं।

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आइये अब जानते है की SIP किस के लिए है बेहतर :

दोस्तों, एसआईपी में मामले में इंक्रीमेंटल इन्वेस्टमेंट प्रॉसेस चलता है, जो निवेशक की एवरेज कैपेसिटी को ध्यान में रखता है। मंथली इनकम वाले व्यक्ति नियमित रूप से निर्धारित अवधि में एसआईपी में कंट्रीब्यूट करने का निर्णय ले सकते हैं। यह 500 रुपये की बेस राशि से शुरू होकर दैनिक, साप्ताहिक और मासिक आधार पर हजारों रुपये तक हो सकती है।  यह प्रक्रिया एक बैंकिंग सर्विस चुनने की तरह है, जहां लोग जानते हैं कि वह सर्विस में कितना योगदान दे रहे हैं।  वे पहले से तय अवधि के लिए स्कीम से जुड़ते हैं।

पहली बार निवेशकों में ज्यादातर युवा पेशेवर और ग्रेजुएट करके आए छात्र रहते हैं।  उनके लिए एसआईपी एक बढ़िया विकल्प है।  उनके पास अपने खर्चे काफी बेसिक स्तर के रहते हैं और निवेश कम रहता है।  इसके अलावा वे बाजार में उतार-चढ़ाव की चिंता किए बिना निवेश के लिए एक टारगेट-ओरिएंटेड टाइमफ्रेम निर्धारित कर सकते हैं।

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दोस्तों, अगर आपको सच में म्यूच्यूअल फंड्स से पैसा कमाना है तो आपके पास उस में निवेश का लक्ष्य तय होना चाहिए। जैसे की 10 साल बाद खुदका घर लेने के लिए 25 लाख चाहिए या फिर 15 साल बाद बेटी की शादी के लिए 20 लाख चाहिए। या फिर 10 साल बाद बेटे की पढाई के लिए 15 लाख चाहिए।

इन्वेस्टर को लक्ष्य निर्धारित कर निवेश की शुरुआत करनी चाहिए।  उदाहरण के लिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक कितनी रकम निवेश कर सकता है, उसकी मंथली इनकम कैसी है, उसकी जोखिम उठाने की क्षमता कितनी है और बाजार के डायनामिक्स को समझने में वह कितना समक्ष है।

एक फिक्स्ड इनकम वाले व्यक्तियों के लिए यह माना जाता है कि बाजार के उतार-चढ़ाव में एसआईपी एक अहम रोल अदा करता है।  एक निवेशक के तौर पर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।  रेग्युलर इनकम वाले शुरुआती निवेशकों के लिए यह बेहतर विकल्प है।  क्योंकि वे इसे कभी भी बंद करने का विकल्प चुन सकते हैं।

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इसके अलावा, बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल केवाईसी और अन्य माध्यमों से प्रक्रिया को तेज करने में मदद कर रहे

हैं, और मोबाइल ऐप पर आपकी शुरुआत के जरिए आपके द्वारा चुनी गई योजना के आधार पर व्यवस्थित रूप से निवेश संभव है।

दूसरी ओर, बाजार में चढ़ाव के दौरान एकमुश्त निवेश भविष्य के रिटर्न को अच्छा खासा प्रभावित कर सकता है और जोखिम फैक्टर प्रमुख भूमिका निभाता है।  चाहे वह एसआईपी हो या एकमुश्त पैसा हो, पोर्टफोलियो में विविधता रिस्क को कम करने में मददगार होती है।

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दोस्तों, आपको SIP और लम्प सम इन्वेस्टमेंट में से किसी सही ऑप्शन का चुनाव करते समय म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट्स से होने वाले मुनाफे पर लगने वाले टैक्स का भी ख्याल रखना चाहिए। टैक्स लगने के बाद कितना प्रॉफिट होगा और वो प्रॉफिट आपके टारगेट को पूरा करेगा या नहीं इन सब बातो को ध्यान में रखकर ही आपको अपनी इन्वेस्टमेंट करनी चाहिए । अपने फाइनैंशल टार्गेट और रिस्क उठाने की चाहत के अनुसार सावधानीपूर्वक अपने इन्वेस्टमेंट ऑप्शन का चुनाव करें। म्यूच्यूअल फंड में पैसे इन्वेस्ट करने से पहले अपने इन्वेस्टमेंट अडवाइजर से कंसल्ट करने में ही बुद्धिमानी है। या फिर आप सिप से शुरू कीजिए और धीरे धीरे आपको मार्किट की भी थोड़ी समझ होने लगती है।  उसी अकॉर्डिंग आप अपनी इन्वेस्टमेंट बढ़ा सकते है।

दोस्तों उम्मीद करते है की अब आपको समझ आ गया होगा की आपको अगर म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट करनी है तो सिप में करनी है या लम्प सम करनी है।

तो दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल भी अच्छा लगा होगा।  हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा ये हमें नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएगा।  और इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर कर दीजियेगा।  धन्यवाद्।

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