How to Invest in Foreign Stock Markets (like Apple, Google, Amazon Shares) from India? | विदेशी शेयर मार्किट में कैसे निवेश करे ?

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दोस्तों हर इन्वेस्टर शेयर बाजार से मोटी कमाई करने की चाहत रखता है चाहे उसका अनुभव कम हो या ज्यादा हो।  ऐसी चाहत रखना आसान है और कोई गलत बात नहीं है, लेकिन अपने पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छी कमाई करने के लिए अच्छी स्ट्रेटेजी बहुत ज़रूरी है। निवेश करना सरल है, मगर इसे खेल नहीं समझना चाहिए। बाजार में सफल होने का कोई फॉर्मूला या शॉर्ट-कट नहीं है। फिर चाहे वो इंडियन मार्किट हो या ग्लोबल मार्किट। 

दोस्तों भारतीयों को विदेशी शेयरों में सीधे निवेश करने की अनुमति मिले अब करीब 17 साल हो चुके हैं।  अगर आप चाहते तो गूगल, अमेजन, फेसबुक, टेस्ला और नेटफ्लिक्स  जैसे कई ब्लॉकबस्टर शेयरों में निवेश कर सकते थे। इन सालों में ये आपके पैसे को कई गुना बढ़ा देते।  डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण तो यह रिटर्न और भी ज्यादा शानदार होता।

दोस्तों दुनिया की दिग्‍गज टेक्‍नोलॉजी फर्म एपल का मार्केट कैपिटलाइजेशन (एम-कैप) पिछले हफ्ते 2 लाख करोड़ डॉलर को पार कर गया।  यह केवल कंपनी के लिए अचीवमेंट नहीं है।  इससे खरीदारों को भी सबक लेने की जरूरत है।  एप्पल के प्रोडक्ट्स तो हम सब उसे करते है लेकिन अगर आपने एप्पल के प्रोडट्स की जगह एप्पल के शेयर में  2004 में में 25 हजार रुपये लगाए होते तो यह रकम आज बढ़कर एक करोड़ रुपये हो चुकी होती।

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अगर एपल के प्रोडक्‍टों पर खर्च किया गया पैसा कंपनी के शेयरों में निवेश किया गया होता तो आज यह कई गुना बढ़ चुका होता।

लेकिन, सच यह है कि शायद ही कोई भारतीय हो जिसने ऐसा किया हो। पिछले कुछ सालों में भारतीय शेयर बाजारों ने दूसरे विदेशी बाजारों की तुलना में अच्छा किया है और यही कारण है कि भारतीयों ने अपने बाजारों से बाहर निकलकर नहीं देखा।  लेकिन अब ऐसा नहीं है।  कोरोना की वजह से हालात पूरी तरह से बदल गए है।  और आज के समय इन्वेस्टर अपने पोर्टफोलियो को और ज्यादा डाइवरसिफाई करने के लिए ग्लोबल मार्किट में इन्वेस्ट कर रहा है।

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फाइनेंशियल प्‍लानर कहते हैं कि ग्‍लोबल शेयरों में इक्विटी पोर्टफोलियो का करीब 5-10 फीसदी निवेश किया जा सकता है।  विदेशी शेयरों में निवेश करने के क्या फायदे है और क्या नुक्सान है ? हमे ग्लोबल मार्किट में निवेश करना चाहिए या नहीं ? और कैसे हम ग्लोबल मार्किट में निवेश कर सकते है। और जानेंगे कि अगर आप ग्लोबल मार्केट में निवेश करते हैं तो उस पर टैक्स की इम्प्लिकेशन्स क्या होगी ?  इन्ही सब बातो को हम आज डिसकस करेंगे।

तो चलिए शुरू करते है :

आइए दोस्तों सबसे पहले ही जानते हैं कि क्यों करें ग्लोबल मार्केट में निवेश ? ग्लोबल मार्केट में निवेश करने के क्या फायदे हैं :

  • Diversification

दोस्तों अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने का एक तरीका है ग्लोबल मार्केट में इन्वेस्ट करना। विदेशी बाजारों में आर्थिक स्थितियां घरेलू बाजार से अलग होती हैं। इसीलिए जरूरी नहीं कि जब घरेलू बाजारों में गिरावट हो तो वही बात विदेशी बाजारों पर भी लागू हो। इसकी वजह से इन्वेस्टर्स को सडोमेस्टिक टर्बुलेन्स से निपटने में बहुत हेल्प मिलती है। इसके साथ-साथ ग्लोबल मार्केट में निवेश करके आपको मौका मिलता है ग्लोबल इकोनामिक ग्रोथ का एक हिस्सा बनने का।

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High return

दोस्तों दूसरा जो बेनिफिट है वह है हाई रिटर्न्स। यह तो हम सभी जानते हैं कि फौरन मार्केट में जो कंपनियां है बड़ी टेक कंपनियां जैसे गूगल , एप्पल , माइक्रोसॉफ्ट या फिर ई-कॉमर्स सेलर अमेजॉन या फिर वेब सीरीज वाली नेटफ्लिक्स या फिर कंपनी टेस्ला यह सारी कंपनीज के जो स्टॉक  हैं उनमें आप इंडिया में तो इन्वेस्ट कर ही नहीं सकते क्योंकि ये शेयर्स हमारी डोमेस्टिक मार्किट में तो लिस्ट ही नहीं है।  यह फॉरेन मार्केट में अवेलेबल है। तो अगर आपको अच्छा प्रॉफिट कमाना है।  और अच्छी कंपनियों के शेयर में निवेश करना है तो भी आपको विदेश में निवेश करना होगा।  विदेश से बहुत तरह के दमदार उद्योग और कंपनियों में इन्वेस्ट के रास्ते खुल जाते हैं। और क्योंकि यह कंपनियां हमारी डोमेस्टिक मार्केट में लिस्ट नहीं होती तो इसीलिए इन कंपनियों की जबरदस्त परफॉर्मेंस का फायदा नहीं उठा पाते।  लेकिन विदेशी मार्केट में निवेश करके आप इनका बेनिफिट उठा सकते हैं और बढ़िया लाभ इनसे कमा सकते हैं।

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  • Risk Mitigation

तीसरा बेनिफिट है ग्लोबल मार्केट में निवेश करके आप अपने रिस्क को मिनिमाइज कर सकते हैं। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि अगर आपका पोर्टफोलियो किसी एक मार्केट के लिए लिमिटेड है तो आज नहीं तो कल आपको लॉस की संभावनाएं है।  क्योंकि विदेशी बाजारों की आर्थिक स्थितियां घरेलू बाजारों से अलग होती है इसीलिए जरूरी नहीं कि जब डॉमेस्टिक मार्केट की हालत खराब हो तो उस टाइम ग्लोबल मार्केट में भी आपको लोस्स हो। तो इसीलिए लोस्स को कम करने के लिए, रिस्क को कम करने के लिए, अपने पोर्टफोलियो को और ज्यादा डायवर्सिफाई करने के लिए ग्लोबल मार्केट में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है।

दोस्तों ग्लोबल मार्केट में निवेश क्यों करना चाहिए यह तो हमने आपको बता दिया। आइए अब  जानते हैं कि कितने अमाउंट तक का आप ग्लोबल मार्केट में निवेश कर सकते हैं।  आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के हिसाब से लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम यानी एल आर एस के तहत किसी भी भारतीय नागरिक को विदेश में हर साल $ ढाई लाख तक इन्वेस्ट करने की छूट है यानी कि मैक्सिमम साइड पर आप ढाई लाख डॉलर तक का निवेश कर सकते हैं हर साल ओवरसीज।

दोस्तों आइए आप जानते हैं कि कैसे आप विदेशी मार्केट में इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर सकते हैं।   फाइनैंशल प्लानर्स कहते हैं कि ग्लोबल शेयरों में आपकी इक्विटी पोर्टफोलियो का करीब 5 से 10 परसेंट का इन्वेस्टमेंट होना चाहिए। अब यह कैसे कर सकते हैं यह आप दो तरीके से कर सकते हैं: पहला आता है डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट और दूसरा है इनडायरेक्ट  इनवेस्टमेंट।

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 डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात करें तो आप चाहे तो सीधा फॉरेन ब्रोकरेज हाउस में अकाउंट खुलवा सकते हैं। कुछ ऐसे फॉरेन ब्रोकरेज हाउसेस हैं जो विदेशी नागरिको को सीधा इन्वेस्ट करने का मौका देते हैं। या फिर आप ऐसे डोमेस्टिक ब्रोकरेज हाउस के पास अकाउंट खुलवा सकते है जिन्होंने  विदेशी ब्रोकर्स के साथ टाईअप कर रखा है। जैसे की hdfc  सिक्योरिटीज , आईसीआईसीआई डायरेक्ट , एक्सिस सिक्योरिटीज etc.

अगर हम ब्रोकरेज की बात करें तो विदेशी मार्केट में निवेश करने के लिए ब्रोकरेज 1 सेंट पर शेयर से लेकर 2.99 डॉलर पर ट्रेड  होती है। यह डिपेंड करती है कि आपने किस प्लेन को चुना है। अगर आप डायरेक्ट इन्वेस्टिंग के  जरिए इन्वेस्ट करने जा रहे हैं तो आप अपना एक सही माइंडसेट बना लीजिए और एक अच्छी खासी रिसर्च जरूर कर लीजिए फॉरेन शेयर्स में इन्वेस्ट करने से पहले।

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दोस्तों, जब भी आप ग्लोबल मार्केट में डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट मेथड के जरिए इन्वेस्टमेंट करने जाएंगे तो आपको दो कॉस्ट बीयर करनी पड़ेगी। पहली कॉस्ट ब्रोकरेज की होगी और दूसरी कॉस्ट करंसी कन्वर्जन की होगी।  क्योंकि आप विदेश में रुपीस में तो डील नहीं करेंगे। आपको उनकी अपनी करेंसी मे ट्रांसक्शन करनी होग।  तो इसीलिए करंसी कन्वर्जन की कॉस्ट भी एक बहुत इंपोर्टेंट रोल प्ले करती है आपके प्रॉफिट में।  जब भी आप फौरन मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहे करना शुरू करें तो आप इन दोनों कोस्ट को भी ध्यान में जरूर रखें।

अब दूसरा तरीका आता है इन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट।  दोस्तों आप विदेशी फंड हाउसस से म्यूच्यूअल फंड खरीद कर भी फौरन सिक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।  शेयरो में इन्वेस्टमेंट की तरह आपको उस देश के म्यूच्यूअल फंड से जुड़े हुए नियमों का भी पालन करना होगा। आप फौरन एक्सचेंज से जुड़े ईटीएफ में भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।  उदाहरण के लिए मोतीलाल ओसवाल के पास नैस्डेक ईटीएफ है यह किसी अन्य शेयर की तरह ही शेयर बाजार पर ट्रेड करता है। इसके लिए आपके पास सिर्फ डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए।  ग्लोबल शेयरो में इन्वेस्टमेंट का एक और तरीका ग्लोबल फंड्स में पैसा लगाना है।  यह अपना कुछ इन्वेस्टमेंट विदेशी शेयरों में करते हैं।  पपराग पारेख लॉन्‍ग टर्म इक्विटी फंड अपनी कॉरपस का करीब 25 फीसदी अमेरिकी शेयरों में निवेश करता है. इन शेयरों में अमेजन, अल्‍फाबेट और फेसबुक शामिल हैं। ग्लोबल शेयरो में इन्वेस्ट करने का सबसे आसान तरीका ग्लोबल फंड के जरिए इन्वेस्ट करना है। वैसे तो इसमें आप अपने आप खरीदने और बेचने का फैसला नहीं करते लेकिन आपको वह सभी बेनिफिट मिलते हैं जो म्यूच्यूअल फंड ऑफर करते हैं।

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तो दोस्तों आप कैसे फौरन मार्केट में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं यह तो हमने आपको बता दिया आइए आप जानते हैं टैक्सेशन के बारे में अगर आप ग्लोबल मार्केट में शेयरों में निवेश करते हैं तो आपके ऊपर उसका क्या टैक्स इंपैक्ट होगा

दोस्तों टैक्सेशन कि अगर हम बात करें तो अगर आपके पास किसी फॉरेन कंपनी का कोई शेयर 24 महीने या उससे ज्यादा समय के लिए है तो उससे होने वाला प्रॉफिट लॉन्ग टर्म गेन में कंसीडर होगा।  और अगर आपके पास कोई फौरन म्यूच्यूअल फंड है जो इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं है उसका होल्डिंग पीरियड 36 महीने से ज्यादा का है तो वह लोंग टर्म कैपिटल गेन में काउंट होगा। लोंग टर्म कैपिटल गैन और  शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन इनका क्लासिफिकेशन टैक्स के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि लोंग टर्म कैपिटल गैन पर टैक्स  कंसेशनल रेट के हिसाब से 20% प्लस एप्लीकेबल सर चार्ज एंड एजुकेशन सेस देना होगा। जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के केस में आपके नॉर्मल रेट के हिसाब से आपको उस पर टैक्स देना होगा।  वही एक्सेम्पशन फ्रॉम लोंग टर्म कैपिटल गेन बात करें तो आप वह भी क्लेम कर सकते हैं अगर आप सेक्शन 54, 54GB की कंडीशन को फुल फील करते हैं तो।

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दोस्तों टैक्सेशन तो हमने आपको बता दिया। अब अगर हम फॉरेन मार्केट में इन्वेस्टमेंट के नुकसान के बारे में बात करें तो फौरन मार्केट में इन्वेस्टमेंट को लेकर ऐसा कोई मेजर नुकसान आपको नहीं हो सकता अगर आप दो कॉस्ट जो हमने आपको बताई है उनको ध्यान में रखते हैं तो।  तो जब भी आप फौरन मार्केट में इन्वेस्ट करने की सोचे  तो इन दोनों कॉस्ट  जो है हाई ट्रांजैक्शन कॉस्ट और एक्सचेंज रेट वोलैटिलिटी इन को अगर आप ध्यान में रखेंगे तो आपको फॉरेन मार्केट इन्वेस्टमेंट में कोई समस्या नहीं आएगी।

दोस्तों अब ओवरसीज मार्केट में इन्वेस्ट करना बहुत ज्यादा एक्सपेंसिव या फिर कोई बहुत कंपलेक्स काम नहीं रह गया है। क्योंकि टेक्नोलॉजी और रेगुलेटरी चेंज होने की वजह से इंटरनेशनल इन्वेस्टिंग अब काफी सरल हो चुकी है।  फ्रेक्शनल शेयर्स में इन्वेस्ट करके इन्वेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो में एक छोटे अमाउंट से भी अमेजॉन और गूगल जैसे एक्सपेंसिव स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं।  तो जो इन्वेस्टर लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के हिसाब से इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं और वोलैटिलिटी को हैंडल कर सकते हैं उनके लिए ओवरसीज इन्वेस्टिंग एक बहुत अच्छा निवेश का विकल्प है।  तो अगर आप हाई ग्रोथ स्टॉक अपने पोर्टफोलियो में ऐड करना चाहते हैं तो आप ग्लोबल इन्वेस्टिंग स्टार्ट कर सकते हैं और यूएस की मार्केट को कंसीडर कर सकते हैं।

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि अब आपको समझ आ गया होगा कि आप कैसे अपने पैसे को ओवरसीज मार्केट में निवेश कर सकते हैं ।तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का आर्टिकल अच्छा लगा होगा। तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर कर दीजिये। अड़ आपको हमारा आर्टिकल कैसा लगा ये हमें नीचे कमेंट करके ज़रूर बताइये। धन्यवाद् !

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