How to Write a Business Proposal in Hindi ? | Business Proposal vs Business Plan | अपने पोटेंशियल कस्टमर के लिए एक इफेक्टिव प्रपोजल कैसे बनाये

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दोस्तों क्या आप एक इंटरप्रेन्योर है ? और आपने अपना बिज़नेस अभी अभी स्टार्ट किया है ? तब तो आप अभी अपने पूरे प्रयासों से लगे हुए होंगे अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने में। तो क्या कर रहे है आप अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने के लिए ? कैसे पहुंचेंगे आप अपने प्रोस्पेक्टिव कस्टमर्स तक ? वो प्रोस्पेक्टिव कस्टमर्स जिन्हे आपके प्रोडक्ट या सर्विस में इंटरेस्ट हो? दोस्तों अपने प्रोस्पेक्टिव कस्टमर तक आपके पहुंचने का रास्ता होता है प्रपोजल। एक बिज़नेस प्रपोजल आप और आपके पोटेंशियल क्लाइंट के बीच का गैप ख़तम करता है और अगर आपका प्रपोजल इफेक्टिव है तो 100% चान्सेस होते है आपके प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट के आपका क्लाइंट बनके आपके साथ जुड़ने  के।

तो क्या आप जानते है की एक इफेक्टिव बिज़नेस प्रपोजल कैसे बनाते है ? एक बिज़नेस प्रपोजल बनाने के लिए क्या क्या ध्यान रखना होता है ? अगर नहीं भी जानते तो घबराइए मत । इस आर्टिकल में हम जानेगे की कैसे आप एक इफेक्टिव बिज़नेस प्रपोजल बना सकते हो एंड अपने प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट्स को कस्टमर्स में बदल सकते हो। तो आइये स्टार्ट करते है।

दोस्तों बिज़नेस प्रपोजल आपके और आपके पोटेंशियल क्लाइंट के बीच में  एक कनेक्शन क्रिएट करता है । आपके बिज़नेस प्रपोजल में आपके बिज़नेस की वैल्यूज डिफाइन होती है और इसका प्राइमरी उद्देश्य होता है किसी भी कंपनी या आर्गेनाइजेशन को आपके साथ बिज़नेस करने के लिए इंटरेस्टेड करना ।

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सामान्यता बिज़नेस प्रोपोज़ल्स दो तरह के होते है :

  1. Solicited
  2. Unsolicited

जब आपसे किसी क्लाइंट ने बिज़नेस प्रपोजल माँगा हो और आप उनके लिए बिज़नेस प्रपोजल बना रहे हो तो उन प्रोपोज़ल्स को सोलिसिटेड प्रोपोज़ल्स कहते है । जबकि जब आप खुद से किसी पोटेंशियल कस्टमर को एप्रोच करते  है। किसी ऐसे कस्टमर को जिसने आपसे बिज़नेस प्रपोजल नहीं माँगा तब आप जिस बिज़नेस प्रपोजल को यूज़ करते है उसे unsolicited बिज़नेस प्रपोजल कहते है । यानि की जब क्लाइंट आपसे कहे बिज़नेस प्रपोजल देने को तब उसे solicited बिज़नेस प्रपोजल और जब आप बिना क्लाइंट के मांगे खुद से बिज़नेस बढ़ाने के लिए प्रपोजल दे तब उसे unsolicited बिज़नेस प्रपोजल कहते है । 

Solicited बिज़नेस प्रपोजल के समय आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट  RFP यानि की Request For Proposal के  साथ प्रपोजल मांगता है । दोस्तों जब भी किसी कंपनी को कोई प्रॉब्लम सॉल्व करनी हो या किसी प्रोडक्ट की ज़रूरत  हो तब वो बाकि बिज़नेसमेंस से प्रपोजल सबमिट करने को कहते है । एक ऐसा प्रपोजल, जिसमे प्रपोजल देने वाली  कंपनी ऐसी डिटेल्स के साथ प्रपोजल दे की किस तरह से वो उस प्रॉब्लम को सॉल्व करेगी।

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दोस्तो प्रपोजल चाहे solicited हो या unsolicited ।। प्रपोजल क्रिएट करने के स्टेप्स ऑलमोस्ट सिमिलर होते है । किसी भी प्रपोजल में मुख्यता तीन चीज़ें ज़रूर होनी चाहिए :

  1. स्टेटमेंट ऑफ़ प्रॉब्लम जो वो आर्गेनाइजेशन फेस कर रहा है जिसे आप प्रपोजल दे रहे है
  2. प्रपोजल सलूशन
  3. और कॉस्ट या कहे प्राइसिंग इनफार्मेशन

दोस्तों हम लोगो में एक कॉमन गलतफहमी होती है बिज़नेस प्रोपोज़ल्स को लेकर । हम में से बहुत से लोगो को लगता है की बिज़नेस प्रपोजल और बिज़नेस प्लान दोनों एक जैसे होते है या यूँ कहे की एक ही होते है। लेकिन दोस्तों  बिज़नेस प्रपोजल  और बिज़नेस प्लान दोनों एक नहीं होते। दोनों बहुत अलग होते है। बिज़नेस प्रपोजल का उद्देश्य होता है आपके प्रोडक्ट या सर्विस को बेचना। बिज़नेस प्रपोजल आपके बिज़नेस के लिए इन्वेस्टर्स नहीं ढूंढ़ते बल्कि नए कस्टमर्स ढूंढ़ते है जो आपके प्रोडक्ट या सर्विस को यूज़ करे।

कोई भी बिज़नेस प्रपोजल बनाने से पहले सबसे महत्वपूर्ण है की आप उस बिज़नेस को समझे जिसके लिए आप बिज़नेस प्रपोजल बना रहे है । अगर आपके प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट ने आपको RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) भेजा है तो आप उस RFP को ध्यान से पढ़िए और समझिये की एक्चुअल में उन्हें चहिए क्या । उनकी रेक्विरेमेंट क्या है । और अगर आप प्रपोजल भेजने से पहले एक कॉल या एक मीटिंग कर सके तो ये आपके लिए बहुत अच्छा होगा। इससे आप उनकी रेक्विरेमेंट और उनकी प्रॉब्लम अच्छे से समझ जायेंगे और आपके लिए प्रपोजल बनाना बहुत आसान हो जायेगा ।

एक बार जब आपकी रिसर्च पूरी हो जाये और आप अच्छे से समझ जाये की आपके पोटेंशियल क्लाइंट की रेक्विरेमेंट क्या है फिर आप बिज़नेस प्रपोजल बनाना स्टार्ट कीजिये । एक बात का ध्यान रखे कोई भी बिज़नेस प्रपोजल सबके लिए बेस्ट नहीं होता। मतलब इंडस्ट्री वाइज, प्रोडक्ट वाइज, सर्विस वाइज और क्लाइंट वाइज सबके बिज़नेस प्रपोजल अलग अलग होते है।

चलिए अब देखते है की एक इफेक्टिव बिज़नेस प्रपोजल में क्या क्या होना चाहिए जो आपके बिज़नेस प्रपोजल को देखते ही क्लाइंट आपको यस करदे । और डील आपकी हो जाये ।

कोई भी बिज़नेस प्रपोजल कम्पलीट होता है इन 10 एलिमेंट्स से । आइये जानते है इन 10 एलिमेंट्स के बारे में :

पहला आता है टाइटल पेज:

दोस्तों टाइटल पेज में बेसिक इनफार्मेशन होती है जैसे की आपकी कंपनी का नाम, कांटेक्ट इनफार्मेशन, आपकी कंपनी का लोगो , आपके क्लाइंट का नाम और उनकी कांटेक्ट इनफार्मेशन । डेट और आपके बिज़नेस प्रपोजल का  टाइटल। इस टाइटल पेज से आपका प्रपोजल साफ़ सुथरा और वेल आर्गनाइज्ड लगता है।

अगला एलिमेंट आता है कवर लेटर

दोस्तों ऐसा तो है नहीं की आप अपना इंट्रोडक्शन दिए बिना ही प्रोजेक्ट हासिल कर लेंगे । कोई भी प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट आपको बिज़नेस देने से पहले आपके बारे में जानना ही चाहेगा । दोस्तों कवर लेटर में आपका इंट्रोडक्शन होता है । इसमें आपकी कंपनी के बारे में शार्ट में और इसके साथ साथ अपनी कंपनी की हिस्ट्री का एक ब्रीफ बैकग्राउंड इनफार्मेशन और एक शार्ट ओवरव्यू इस बारे में की कैसे आपकी कंपनी बाक़ी सबसे बेहतर है ।

दोस्तों आपने कवर लेटर को फ्रेंडली रखिये और इस तरह से conclude करिये की आपके कवर लेटर को पढ़ने के बाद आपके रीडर के मन में कोई सवाल ना रहे । अपने कवर लेटर को थैंक यू और सिग्नेचर के साथ समाप्त करिये।

दोस्तों अगला जो महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है वो है टेबल ऑफ़ कंटेंट

अगर आपका प्रपोजल बहुत छोटा है तब तो बात अलग है नहीं तो आपके बिज़नेस प्रपोजल में टेबल ऑफ़ कंटेंट होना चाहिए आउटलाइन फॉर्म में । इससे आपके प्रपोजल के रीडर को आईडिया मिलेगा की कहाँ क्या है आपके प्रपोजल में । और वो पूरे डॉक्यूमेंट को आसानी से पढ़ पाएंगे और अच्छे से समझ पाएंगे । और अगर आप सॉफ्ट कॉपी भेज रहे है यानि की अगर आप इलेक्ट्रानिकली प्रपोजल भेज रहे है तो आप अपनी टेबल ऑफ़ कंटेंट को क्लिकेबल टेबल ऑफ़ कंटेंट के फॉर्म में तैयार कर सकते है । जिससे आपके पोटेंशियल कस्टमर आसानी से  आपके प्रपोजल के पेजेज पर नेविगेट कर पाए । और जिस भी पेज पर वो जम्प करना चाहे आसानी से एक क्लिक से कर पाए ।

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दोस्तों अगला जो महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है वो है एग्जीक्यूटिव समरी

Executive summary में ही एक्साक्ट्ली वो डिटेल होती है जिसके लिए आप प्रपोजल भेज रहे हो । और एग्जीक्यूटिव समरी में ही आप डिफाइन करेंगे की आपका सलूशन कैसे आपके प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट के लिए बेस्ट है । just like value proposition, इसमें आपकी कंपनी के प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के बेनिफिट्स को आप डिफाइन करते है और डिफाइन करते है की कैसे आपका प्रोडक्ट या सर्विस आपके पोटेंशियल क्लाइंट की प्रॉब्लम को सॉल्व करेंगे । एग्जीक्यूटिव समरी ऐसी होनी चाहिए की आपका पोटेंशियल क्लाइंट चाहे आपका पूरा प्रपोजल ना पढ़े लेकिन एग्जीक्यूटिव समरी को पढ़ कर ही उसे एक क्लियर आईडिया मिल जाये की आप कैसे उसकी मदद करेंगे।

दोस्तों अगला महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है स्टेटमेंट ऑफ़ प्रॉब्लम और ज़रूरत

ये ही वो पोरशन है जहा आप डिफाइन करते है की आपके पोटेंशियल कस्टमर को क्या इशू आ रहा है । और इसी पोरशन से आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट समज़ता है की आप उनकी प्रॉब्लम या रेक्विरेमेंट या इश्यूज को कितना बेहतर तरीके से समझे है । क्योकि कोई भी प्रॉब्लम सॉल्व तो तभी होगी जब प्रॉब्लम समझ आएगी ।

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 दोस्तों अगला महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है प्रोपोसड सलूशन:

ये वो सेक्शन होता है जिसमे आप उस स्ट्रेटेजी के बारे में बताएंगे जिसे आप प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट को ऑफर कर रहे है  उनकी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए । ध्यान रखिये की आप प्रोपोसड सलूशन आपके प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट की ज़रुरत के हिसाब से कस्टमाइज्ड हो । और ये प्रपोजल का वो पार्ट होता है जो क्लाइंट वाइज कस्टमाइज किया जाता है । इसी सेक्शन से प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट को पता चलता है की आप उन्हें क्या डेलीवेर करने वाले हो। कौन सा तरीका इस्तेमाल करने वाले हो उनकी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए  और एक टाइम फ्रेम भी डिफाइन कीजिये । जिससे आपके क्लाइंट को पता हो की वो आपसे क्या क्या एक्सपेक्ट कर सकते है और कब कब ।

दोस्तों जो अगला महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है वो है आपकी qualification

क्या आप अपने प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए क्वालिफाइड है । वो आप पर ट्रस्ट क्यों करे। दोस्तों इस सेक्शन में आप बताइये की आप इस जॉब के लिए बेस्ट क्यों है । आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट आपको ये बिज़नेस क्यों दे । इस सेक्शन में आप अपनी कुछ केस स्टडीज यूज़ कर सकते है अपने क्लाइंट्स की सक्सेस स्टोरीज की । अगर आपको कुछ अवार्ड्स मिले है तो  वो मेंशन कर सकते है और अगर आपके पास कोई accreditations है तो आप मेंशन कर सकते है । जिससे आपने प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट का ट्रस्ट आप पर मज़बूत हो सके ।

दोस्तों अगला जो एलिमेंट आता है वो सबसे महत्वपूर्ण होता है और वो है pricing

Pricing आपके बिज़नेस प्रपोजल का थोड़ा सा ट्रिकी पार्ट होता है । क्योकि ना ही तो आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस को ओवर प्राइसिंग करना चाहोगे और ना ही  अंडर प्राइसिंग।आप एक ऐसी प्राइसिंग टेबल बनाइये जिसमे आप अपनी हर प्रोडक्ट या सर्विस के सामने साफ़ साफ़ उसका एक्यूरेट प्राइस मेंशन करिये । इवन आप एक रेस्पॉन्सिव प्राइसिंग टेबल भी बना सकते है। जिसमे आपका क्लाइंट चेक ऑफ करता रहे जो जो सर्विस वो लेना चाहता है और उसी के अकॉर्डिंग कॉस्ट कैलकुलेट होती रहे । तो इस तरह से आप प्राइसिंग वाला पोरशन डिज़ाइन कर सकते है अपने बिज़नेस प्रपोजल में।

दोस्तों जो अगला महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है वो है टर्म्स एंड कंडीशन

दोस्तों ये वो पोरशन है जहाँ आपको डिटेल में डिफाइन करना होगा की प्रोपोसड प्रोजेक्ट की टाइमलाइन क्या है, प्राइसिंग क्या है और पेमेंट अनुसूची क्या रहेगा । ये उन टर्म्स की समरी होगी जिनपर आप और आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट सहमत करेंगे अगर वो आपका प्रपोजल एक्सेप्ट करते है तो । ध्यान रखिये की आप अपनी टर्म्स एंड कंडीशंस क्लियर डिफाइन करिये और अगर पॉसिबल है तो एक बार किसी लीगल बन्दे से भी  सलाह ज़रूर ले ले टर्म्स एंड कंडीशंस के मामले में । क्योकि अगर प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट इस प्रपोजल को एक्सेप्ट करता है तो दोनों पार्टीज को इन्ही टर्म्स एंड कंडीशंस के हिसाब से काम करना होगा ।

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अगला और अंतिम महत्वपूर्ण एलिमेंट आता है एग्रीमेंट

आपके बिज़नेस प्रपोजल को पड़ने के बाद अगर प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट को आपका प्रपोजल एक्सेप्ट करना हो तो कैसे करेंगे । इसके लिए आप एक सिग्नेचर बॉक्स जोड़िये लास्ट में। आप इसको टैग दे सकते है  “Accept and sign”। और  साफ़ साफ़ मेंशन करिये  “if you agree to the terms of this proposal, please sign in the box below”।

तो दोस्तों ये हमने आपको बताये बिज़नेस प्रपोजल के 10 महत्वपूर्ण एलिमेंट्स । दोस्तों एक बिज़नेस प्रपोजल ड्राफ्ट  करते समय आपको बहुत सारी बातो को दिमाग में रखना होता है । आइये अब कुछ टिप्स देखते है जिन्हे आप बिज़नेस प्रपोजल बनाते समय ध्यान में रखे :

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  1. Keep it simple: दोस्तों किसी भी बिज़नेस प्रपोजल की length कितनी होनी चाहिए इसका कोई क्राइटेरिया नहीं है । लेकिन आप length की बजाय क्वालिटी पर फोकस करिये । अपने सेन्टेंसेस को छोटा और आसान रखिये । और पॉइंट टू पॉइंट ही मेंशन करिये । कुछ भी आलतू  फालतू का कचरा मत भरिये । दोस्तों दूसरा आता है ।
  • Stay on brand: अपनी कंपनी की पर्सनालिटी को अच्छे से डिफाइन करिये । अपने ब्रांड की वैल्यू को एक्सप्लेन करिये । अपने प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट को बताइये की कैसे आप अपने कम्पीटिशर्स से अलग है पर बेहतर है ।
  • Include data and visuals: Don’t forget to include compelling, quantitative data। जहाँ पॉसिबल हो, यूज़ विसुअलस जैसे की चार्ट्स और ग्राफ्स जिससे आपका प्रपोजल और बेहतर बन सके।
  • Quality control: अपने प्रपोजल को अपने प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट को भेजने से पहले, ध्यान रखिये की आप उस प्रपोजल को पढ़िए । कम से कम दो बार तो पढ़िए । जिससे की कोई typos or grammatical errors ना हो आपके प्रपोजल में। 
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  • Embrace the digital age. दोस्तों डिजिटल age है और आज के टाइम में किसी को भी नहीं पसंद है मोटे से एनवलप में लेटर्स रिसीव करना । इसीलिए बेहतर है की आप अपना प्रपोजल इलेक्ट्रानिकली भेजे । और इलेक्ट्रानिकली आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस की वीडियोस भी ऐड कर सकते है जो एक बहुत ही पॉजिटिव इम्पैक्ट डालेगी आपके पोटेंशियल कस्टमर पर । और आप अपने प्रपोजल में इलेक्ट्रानिकली sign करने का ऑप्शन दे सकते है और अगर आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइंट e sign करने में कम्फर्टेबले नहीं है तो भी वो प्रिंट आउट लेकर फिजिकली sign करके आपको भेज सकता है ।

तो दोस्तों इन 10 एलिमेंट्स के साथ और इन  5 टिप्स के साथ आप एक ऐसा इफेक्टिव बिज़नेस प्रपोजल बना सकते है जिसे आपका पोटेंशियल कस्टमर रिजेक्ट ही ना कर पाए और आपका बिज़नेस दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करता रहे  

तो दोस्तों उम्मीद करते है की आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा। कैसा लगा हमारा आर्टिकल आप हमे कमेंट करके ज़रूर बताइये धन्यवाद् !

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