Loan Guarantor-Risk & Liability | लोन गारंटर बनते समय बरते सावधानी | लोन गारंटर बनने में है कितना रिस्क ?

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दोस्तों, इस समय पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है।  कोरोना की वजह से लगभग हर देश की अर्थव्यवस्था बहुत खराब है।  लोगों के बिजनेस ठप्प हो रहे हैं।  लोगों की नौकरियां जा रही है। ऐसी हालत में अगर आपने कोई बैंक लोन लिया हुआ है या फिर आप किसी के लोन में गारंटर बने हुए हैं तो आपके लिए एक और बड़ी मुसीबत है। हालांकि EMI भरने के लिए RBI ने मोरोटोरियम दिया है, जिसे बढ़ाकर अगस्त तक कर दिया है। इससे आपके लोन की EMI भरने का समय टल गया है, लेकिन खतरा नहीं हटा है। यानी एक न एक दिन आपको लोन कि किस्त चुकाना ही पड़ेगा। जिन लोगों की नौकरी चली गई है या जिनका व्यवसाय बंद पड़ गया है वह लोग लोन की किस्त कैसे चुकाएंगे ? ऐसे में लोन डिफॉल्ट के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते है।  अगर लोन डिफॉल्ट होता है तो लोन लेने वाला ही नहीं बल्कि जो इस लोन में बैंक गारंटर बना है उसके लिए भी बहुत बड़ी मुसीबत पड़ जाती है। 

आज हम बैंक गारंटर के बारे में बात करेंगे और जानेंगे की बैंक गारंटर क्या होता है ? कब ज़रूरत पड़ती है बैंक गारंटर की ?  बैंक गारंटी की लायबिलिटी क्या होती है ? कितने प्रकार के होते हैं बैंक गारंटर ? और अगर लोन लेने वाला डिफ़ॉल्ट करता है तो क्या बैंक गारंटर से अपना लोन वसूल सकते है ? और अगर आपको कही पैर बैंक गारंटर बनना ही पड़े तो आपको क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

तो चलिए शुरू करते है

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दोस्तों, कई बार आपके रिश्तेदार या दोस्त अपनी जरूरत के लिए जब लोन लेने जाते हैं तो आपको अपना गारंटर बनाते है।  यह होम लोन , ऑटो लोन , पर्सनल लोन या दूसरे कोई लोन हो सकते हैं।  अगर आप भी ऐसा करने जा रहे हैं तो पहले लोन गारंटर बनने का सही मतलब जान लीजिये।  लोन गारंटर बनने का मतलब सिर्फ एक कागज पर सिग्नेचर करना नहीं है, बल्कि ऐसा करने पर आपके साथ फाइनेंसियल जिम्मेदारियां भी जुड़ जाती हैं।  किसी का लोन गारंटर बनने से आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है और आपकी कर्ज लेने की क्षमता घट जाती है।

आइये सबसे पहले जानते है की लोन गारंटर का क्या मतलब होता है ?

लोन गारंटर का मतलब है कि बैंक को कर्ज लेने वाले पर पूरा भरोसा नहीं है कि वे कर्ज लौटा पाएगा।  ऐसे में बैंक अतिरिक्त गारंटी की मांग करता है।  ये गारंटी अचल संपत्ति के रूप में हो सकती है और किसी व्यक्ति के रूप में। बड़ी राशि के लोन के लिए गारंटर का होना जरूरी है।  लोन का गारंटर उस शख्स को कहा जाता है, जिसपर कर्जदार के कर्ज नहीं चुकाने की हालत में कर्ज चुकाने की कानूनी जिम्मेदारी होती है।  इसका मतलब है कि यदि कर्जदार लोन नहीं चुका पाता है तो लोन गारंटर को उस कर्ज का भुगतान करना होता है।

आइये अब जानते है की लोन गारंटर कितने प्रकार के होते है ?

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लोन गारंटर दो प्रकार के होते है

  1. फाइनेंसियल लोन गारंटर
  2. नॉन फाइनेंसियल लोन गारंटर

आइये अब जानते है की नॉन फाइनैंशियल बैंक गारंटर और फाइनैंशियल बैंक गारंटर का क्या मतलब है और इनमे क्या अंतर है ? दोस्तों, फाइनैंशियल बैंक गारंटर का मतलब है कि आप लोन की पूरी जिम्मेदारी ले रहे हैं और अगर कर्जदार ने लोन नहीं चुकाया तो आप पूरी राशि ब्याज सहित चुका देंगे।

जबकि नॉन फाइनैंशियल बैंक गारंटर का अर्थ है कि आपके ऊपर कर्ज चुकाने की कोई जिम्मेदारी नहीं है और आप बैंक और कर्जदार के बीच सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे और बैंक को कर्ज वापस दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन अगर कर्ज़दार क़र्ज़ नहीं चुका पता तो उस हालत में आपको उसका क़र्ज़ नहीं चुकाना होगा।

आइये अब जानते है की कब पड़ती है गारंटर की जरूरत?

दोस्तों, हर लोन के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान लोन गारंटर की मांग नहीं करता।  कुछ विशेष परिस्थितियों में ही लोन गारंटर की जरूरत पड़ती है।  उदाहरण के तौर पर :

  • यदि लोन की रकम बहुत ज्यादा हो।  क्योंकि बड़ी रकम पर डिफॉल्ट जोखिम अधिक होता है।
  • यदि कर्जदार का निजी क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट इतिहास खराब रहा हो।
  • यदि मुख्य कर्जदार की उम्र अधिक हो।
  • यदि मुख्य कर्जदार का पेशा अधिक जोखिम वाला हो।
  • यदि मुख्य कर्जदार कम आय वाले समूह में शामिल हो।
  • यदि बैंक की नीतिगत जरूरत में लोन गारंटर शामिल हो।
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दोस्तों, एक गारंटर बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है और इससे तब तक बचने की कोशिश करनी चाहिए जब तक वह लोन आपके स्पाउस या आपके किसी क्लोज फैमिली मेंबर या किसी ऐसे दोस्त द्वारा लिया जा रहा हो जिसकी फाइनेंशियल कंडीशन और लोन चुकाने की क्षमता के बारे में आपको अच्छी तरह मालूम है। अब अगर आपको किसी लोन में गारंटर बनना ही पढ़ रहा है तो उस केस में लोन गारंटर बनने का आपके ऊपर क्या इफ़ेक्ट होगा,  आइये जानते है :

1. लोन चुकाने की कानूनी जिम्मेदारी

दोस्तों , भले ही लोन गारंटर की भूमिका कर्जदार से अलग हो, मगर बैंक या वित्तीय संस्थान के नजरिए से गारंटर की लोन चुकाने की समान कानूनी जिम्मेदारी होती है।  इसलिए आपको भी अपने कुछ डाक्यूमेंट्स जमा करने होते हैं।  बतौर गारंटर आपको आय प्रमाण, और अपने एसेट जैसी जरूरी जानकारी बैंक या वित्तीय संस्थान को मुहैया करानी होती है।  इसके निरीक्षण के बाद बैंक तय करता है कि आप गारंटर बनने के योग्य हैं या नहीं।  बैंक जानना है चाहता है कि मुख्य कर्जदार के फेल हो जाने पर आप कितने सक्षम हैं उस लोन को चुकाने में। तो सबसे बड़ा और अहम् इफ़ेक्ट तो ये ही पड़ता है की बैंक गारंटर बनने से आपको ऊपर भी उस लोन को चुकाने की कानूनी जिम्मेदारी आ जाती है।

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घट जाएगी आपकी ऋण लेने की योग्यता

जब आप फाइनेंशियल गारंटर बनने का विकल्प चुनते हैं, तो इसका आपके क्रेडिट रिकॉर्ड और लोन स्टेटस पर असर होता है।  इसका प्रभाव आप पर भी उतना ही पड़ता है जितना कर्ज़दार पर होता है।  आपकी लोन लेने की क्षमता घट जाती है।  मसलन, अगर आप 30 लाख रुपये के लोन के गारंटर हैं और अपनी इनकम लिमिट के अनुसार 50 लाख रुपये का होम लोन चाहते हैं तो बैंक शायद आपको 20 लाख रुपये का ही लोन दे।  इससे न केवल आपका वित्तीय लक्ष्य प्रभावित होता है, बल्कि कर्ज़दार के साथ आपके संबंध भी बिगड़ते हैं।

क्रेडिट रिपोर्ट पर असर

यदि आप किसी के लोन के गारंटर बनते हैं, तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्शाया जाता है।  इसका अर्थ यह कि लोन डिफॉल्ट होने पर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी असर पड़ेगा।  इसका एक अर्थ यह भी है कि ऐसी स्थिति में आपकी कर्ज लेने की क्षमता प्रभावित होगी।  कुछ संस्थान आपको कर्ज देने से इनकार भी कर सकते हैं या आपसे अधिक दर पर ब्याज भी लिया जा सकता है।  साथ ही संभव है कि आप एक से अधिक लोन के गारंटर या दुबारा गारंटर (डिफॉल्ट की स्थिति में) नहीं बन सकते।

निजी संपत्ति पर असर

यदि आप किसी लोन के गारंटर हैं और मुख्य कर्जदाता द्वारा वह लोन डिफॉल्ट कर दिया जाता है, तो बैंक अपना कर्ज वसूलने के लिए पहले मुख्य कर्जदाता की संपत्ति की बिक्री/नीलामी करेगा।  इससे पहले बैंक गारंटर से पूछेगा कि क्या वह उस कर्ज को चुकाने में सक्षम हैं।  यदि गारंटर उस लोन को चुकान में सक्षम नहीं हैं या फिर बैंक गारंटर के जवाब से संतुष्ट नहीं होता तो बैंक अपनी रकम वसूलने के लिए पहले मुख्य कर्जदार की संपत्ति और शेष राशि वलूलने के लिए फिर गारंटर की संपत्ति जब्त कर सकता है।

अब सवाल आता है की कब बैंक गारंटर बने और कब नहीं?

दोस्तों, किसी संबंधी, मित्र या परिचित की मदद के लिए उठाया गया कदम आपका जोखिम बढ़ा सकता है।  हमारे देश में रिश्तो का बहुत महत्व होता है और किसी से आपके रिश्ते न ख़राब न हो जाये इसी डर से बहुत से लोग बैंक गारंटर बन जाते है।  वो सोचते है एक  साइन की ही तो बात है।  लेकिन दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे की बात सिर्फ एक साइन की नहीं है।  इस एक साइन से बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप पर आ जाती है।  तो सिर्फ इस डर से की कही आपके रिस्तो में खटास न आ जाये आप कभी भी बैंक गारंटर न बने।  हालांकि, इसका यह अर्थ नहीं कि आप किसी की सहायता ही न करें।  इस विषय में किसी भी निर्णय पर पहुंचने के लिए गंभीर सोच-मंथन की आवश्यकता है। सबसे अहम् बात ये समझ लीजिये की ये दायित्व लम्बे समय के लिए है।  और लम्बे समय में आपके प्रियजन के आर्थिक हालत कैसे होंगे या फिर उससे आपके सम्बन्ध कैसे होंगे, ये भी एक बार ज़रूर सोच ले।  हस्ताक्षर करने पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े।  बैंक में एक कर्ज के लिए एक से अधिक कर्जदार भी हो सकते है।  गांरटर की भूमिका सह-कर्जदार से अलग होती है। ऐसा ज़रूरी नहीं की आपका फॅमिली मेंबर ही आपका गारंटर बने। यदि आप लोन गारंटर बन रहे हैं, तो ध्यान रखिए कि आप डिफॉल्ट की स्थिति में सिर्फ उस कर्ज को चुकाने की जिम्मेदारी नहीं उठा रहे हैं, बल्कि अपनी खुद की कर्ज क्षमता को भी कम करेंग।  इन् सब बातो को ध्यान में रखकर ही तय करिये की आपको गारंटर बनना है या नहीं।

किसी की गारंटी ले चुके हैं तो क्या करें?

अगर आप पहले ही गारंटर हैं तो कर्ज लेने वाले व्यक्ति और कर्ज देने वाले बैंक से भी संपर्क में रहें। इसके अलावा अपना क्रेडिट स्‍कोर भी नियम‍ित रूप से चेक करें। अगर कोई परेशानी होगी, तो वह आपके स्‍कोर में दिखेगी। गारंटर को कर्ज लेने वाले से पर्याप्‍त लोन इंश्‍योरेंस कवर खरीदने पर जोर देना चाहिए। इससे कुछ अनहोनी होने पर लोन को अदा करने की जिम्‍मेदारी गारंटर पर नहीं आएगी। अगर कर्ज़दार समय से लोन नहीं चुका रहा तो आप उस पर सामाजिक दबाव बना सकते है क़र्ज़ चुकाने का। अगर आप गारंटर बन चुके है तो तो जब तक लोन चुका नहीं दिया जाता तब तक आपको उस लोन पर पूरी नज़र रखनी होगी और किसी भी डिफ़ॉल्ट की स्तिथी में आपको कर्ज़दार पर किसी भी तरह से दबाव डालकर लोन की रीपेमेंट करनी होगी। 

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क्या आप बीच में निकल सकते हैं?

आपको समझना चाहिए कि गारंटर होना लंबी अवधि की प्रतिबद्धता है। आप बीच में ही अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं।  अगर आप किसी के गारंटर हैं और अब हटाना चाहते हैं तो इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे आप खुद लोन लेना चाहते हैं। हालांकि, बैंक इसकी अनुमति तब तक नहीं देते हैं जब तक कर्ज लेने वाला व्‍यक्ति कोई और गारंटर नहीं तलाश लेता है। यहां तक कोई दूसरा गारंटर ढूंढ लेने के बावजूद यह बैंक पर निर्भर करता है कि वह इसकी अनुमति देता है कि नहीं।

डिफॉल् होने पर क्या करें?

अगर कर्ज लेने वाला व्‍यक्ति नियमित रूप से इसका भुगतान नहीं कर रहा है और बैंक आपको कर्ज चुकाने के लिए कह रहा है तो कर्ज लेने वाले से बात करके आप लीन चुका सकते हैं। ऐसा करने पर गारंटर कर्ज लेने वाले से बाद में पैसा वसूल सकता है। इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट (Indian Contract Act) के तहत गारंटर को लोन लेने वाले व्यक्ति से पैसा वसूलने का अधिकार है।

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दोस्तों हमारे यह सम्बन्ध बहुत महत्व रखते है। ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय। ‘ यह दोहा आपने ज़रूर सुना होगा।  कई वजहों से अक्सर करीबी संबंधों में खटास पड़ जाती है। जब भाई या बहन या कोई करीबी दोस्त या रिस्तेदार आपसे होम या पर्सनल लोन का गारंटर बनने के लिए कहते हैं तो भी समस्या पैदा हो जाती है। आप सिर्फ इसीलिए किसी भी लोन में गारंटर न बने की कही आपने मना क्र दिया तो आपक सम्बन्ध ख़राब हो जायेंगे। क्योकि जो सम्बन्ध गारंटर न न बनने से खराब हो सकते है वो तब भी ख़राब हो सकते है अगर लोन में डिफ़ॉल्ट हो जाय।  तब आप पर लोन चुकाने का दायित्व और आ जायेगा।  इसीलिए सब कुछ अच्छे से देख समझ कर ही तय कीजिये की आपको लोन में गारंटर बनना है या नहीं।  क्योकि ये एक लम्बे समय के लिए प्रतिबद्धता है और लम्बे समय में आप किसी के भी दिमाग की , विचारो की या आर्थिक स्तिथी की गारंटी नहीं ले सकते।

तो दोस्तों उम्मीद करते है की आपको हमारा आज का आर्टिकल पसंद आया होगा। हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा ये हमे नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएगा।  इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजियेगा।  धन्यवाद् !

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